मानव भाषा की कुछ ख़ास विशेषताएँ हैं, जिनके आधार पर मनुष्य अन्य प्राणियों से भिन्न श्रेणी में शामिल होता है|
भाषा की यही विशेषता मनुष्य को पृथ्वी पर पाए जाने वाले अन्य जीवों से अलग करती हैं| इनमें निम्न लिखित विशेषताओं को शामिल किया जा सकता हैं|
2. यादृच्छिकता (Arbitariness) भाषा की ध्व्वानियाँ और अर्थ में कोई तार्किक संबंध नहीं होता| जैसे- पानी, water, पाणी, जल, आब|
3. सर्जनात्मकता (Creativity) मनुष्य भाषा में उन वाक्यों का निर्माण कर सकता है, जो उसने इससे पहले कभी नहीं सुने|
4.सांस्कृतिक संरचना (Conventionality) बच्चा कोई भी भाषा जन्म से सीखकर नहीं आता अतः वह भाषा को समाज में सीखता है, अपने परिवेश से सीखता है|
5. द्वयात्मक व्यवस्था (Duality pattern) भाषा की संरचना का अध्ययन दो स्तरों पर होता है; पहला स्तर वे सार्थक इकाइयाँ हैं जिनसे वाक्य की रचना की जाती हैं| इन सार्थक इकाइयों को शब्द भी कहते हैं और दूसरा वह स्तर हैं जो इन सार्थक इकाइयों की रचना करता हैं यानी भाषा की ध्वनियाँ| ये द्वानियाँ अपने आप में निरर्थक होकर अपने से बड़ी इकाई की रचना कराती हैं|
6. विविक्तता (Discreatness) भाषा में हर शब्द और वाक्य के बाद विराम की स्थति आती है| जिस वजह से मनुष्य ध्वनियों को आसानी से समझ सकता है|